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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे भारत का योगदान:भाग 3

विशेष माहिती श्रृंखला : भाग 3 (3-30)

प्राचीन कृषि पद्धतियाँ: आधुनिक दृष्टीकोन

1.जैविक खाद का उपयोग यह खाद, भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं के लिए खाद्य-आधार के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य करती है। इससे ट्राइकोडर्मा बैसिलस सन्टिलिस, राइजोक्टोनिया व पाइथियम जैसे रोगाणुओं की रोकथाम होती है।

2. ग्रीष्मकालीन जुताई इससे रोगाणुओं के सुप्त बीजाणु, सौर-किरणों से प्रभावित होते हैं जिसके कारण फसल में उनका संक्रमण कम होता है।

3. क्रमवार फसले: चावल व केला इससे केले में फ्यूसारियम ऑक्सीपोरम, जो केले में पनामा रोग का कारण है, का संक्रमण कम हो जाता है।

4. फसल काटने के बाद खेत में आग लगाना. इससे चावल के तनों में सड़न पैदा करने वाले लैप्टोरफेरिया सहेनी के संक्रमण से छुटकारा पाया जा सकता है।

5. मिश्रित बूआई लंबे पादप के साथ बौने पौधे लगाने से छोटी फसल को एफिड कीटों का खतरा कम हो जाता है। लंबे पौधे हवा से फैलने वाले बीजाणुओं के संचलन को कम करने के लिये वायुरोधक का कार्य भी करते हैं।

सब्जीयो और अनाज का भांडारण

 1. अनाज भंडारण हेतु नीम के पत्तों का प्रयोग नीम गड़ों में रखकर उन्हें मिट्टी से ढका जाता था। इससे सब्जियों का तापमान कम बना में उपस्थित निमवीन व अजरडायरेक्टिन, 200 से अधिक खाद्यपदार्थों के लिए कीटरोधी व प्रति-पोषक:है।

2. अनाज का भूमिगत गड्ढों में भंडारण: वहाँ कार्बन डाईऑक्साइड अधिक होती है और ऑक्सीजन कम यह ऑक्सीक्षीणता कीटाणुओं के लिए प्रतिकूल परिस्थिति है।

3. अनाज भंडारण के लिए प्रयुक्त मिट्टी के बर्तनों पर अरंडी के तेल का लेप लगाया जाता था ताकि उनमें नमी न प्रवेश कर सके ।

4. भंडारण से पूर्व बीजों का कोयले की राख से उपचार किया जाता था ताकि कीटाणु व उनके लार्वा निर्जलीकरण के कारण नष्ट हो जाएँ।

5. भंडारण से पूर्व, अनाज को धूप में सुखाने से उसकी आर्द्रता कम हो जाती है और कीटाणुओं के अंडे व लार्वा नष्ट हो जाते हैं।

6. खेत में नीम की पिडी का उपयोग

इससे फंगस और गोल व सूत्र कृमि जैसे रोगाणुओं की संख्या में कमी आती है। इसके साथ-साथ नीम पिंड के कैल्शियम व मैग्नीशियम भूमि की क्षारीयता को वापस लाकर उसे पुनःकृषि योग्य बनाते हैं।

7. निम वृक्षारोपण

नीम के पत्ते प्रभावकारी वायुशोधक है और पर्यावरण संरक्षण में सहायक हैं। एक वर्गमीटर पत्ते 2,88 ग्राम धूल सोखते हैं। इन पर विषैले रासायनिकों का प्रभाव भी नहीं पड़ता है। नीम के पत्ते एसपर्जिलस फ्लेक्स की वृद्धि और ऐफ्लॉटॉक्सीन के उत्पादन को रोकते हैं।

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