CultureFoodsHealth and WellnessOpinion

मात्रा के अनुसार भोजन क्यों करे?

स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणं,अतुरस्यविकार प्रशमनं च ।

आयुर्वेदशास्त्र के प्रधानतः दो प्रयोजन है –

(1) स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा करना

(2) रोगी के विकारों को शांत करना।

स्वस्थ रहने के लिए सर्वप्रथम आहार पर नियंत्रण रखना परमावश्यक होता है।आहार पर नियंत्रण नही करने वाला व्यक्ति हमेशा रोगी बना रहता है।मनुष्य को सदा मात्रा के अनुसार आहार (भोजन) करना चाहिए, क्योंकि उचित मात्रा में किया गया भोजन जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। मात्रा का निर्धारण गुरु तथा लघु द्रव्यों को देखकर करना चाहिए।

आहार करते समय पुरुष को आमाशय की खाली जगह को तीन भागों में इस प्रकार बाँट देना चाहिए:यथा-एक भाग को ठोस आहार द्रव्यों के लिए, एक भाग द्रव द्रव्यों के लिए और एक भाग वात, पित्त तथा कफ के लिए रखें| गुरु भोजन पदार्थों को आधी तृप्ति हो जाने पर खाना छोड़ दें और लघु भोजन पदार्थों को भी अधिक तृप्त होने तक न खायें। वास्तव में भोजन की उचित मात्रा वही है, जो सुखपूर्वक पच जाय। हीन ( कम ) मात्रा वाला भोजन बल, शरीरपुष्टि तथा ओजस् को नहीं बढ़ाता है,और इस प्रकार का भोजन सभी प्रकार की वातव्याधियों की उत्पत्ति का कारण होता है। जो व्यक्ति जितेंद्र न होने के कारण पशुओं के समान भोजन कर लेते हैं वे रोगों के समूह अजीर्ण को प्राप्त करते हैं।मात्रा के अनुसार किया हुआ भोजन शरीर के बल,वर्ण,सुख, आयु की वृद्धि करता है।

निरंतर सेवन का निषेध- दही या मट्ठा के साथ दूध को पकाने से निर्मित पदार्थ फटे हुए दूध से बने पदार्थ, सूअर का मांस,गौ मांस, भैंस का मांस,मछली, दही, उड़द इनका सेवन निरंतर ना करें।

प्रतिदिन सेवन योग्य पदार्थ- साठी के चावल, सेंधा नमक, आमलक ,जौ, अंतरिक्ष जल ,दूध घी, जल, जंगल देश के पशु पक्षियों का मांस, मधु इनका लगातार सेवन करना चाहिए ।

आप लोगों को प्राचीन आयुर्वेद संहिता से कुछ अच्छी जानकारी देने का मेरा हमेशा प्रयास रहेगा।

जय धन्वंतरि, जय आयुर्वेद…

वैद्य कांचन अमित सूर्यवंशी द्वारा स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान:-

(१) मुझे सर्दी, खाँसी, जुकाम रहता है और कभी – कभी बुखार भी आता है। कृपया इसका स्थायी उपचार बताएं

  • लक्ष्मीविलास रस दिन में तीन बार भोजन के बाद ले सकते है। अच्छा होगा अधिक जानकारी के लिए मुझे कॉन्टैक्ट करे क्यूंकि प्रकृति परीक्षण किये बिना औषधि नही दी जा सकती।

(२) सर्दी जुकाम अधिक होने पर नाक बंद हो जाती है, सिर भी भारी हो जाता है और बहुत बेचैनी होती है। क्या करें ?

  • सरसों के तेल की 2- 2 बूंद नाक में डाले सुबह -शाम।

(३) वायु की सूखी खाँसी का उपचार कृपया बताएं ?

  • लवंगादी वटी को तीन बार चूसें

(४) गर्मी की खाँसी में क्या करना चाहिए ?

  • गुलकंद के साथ गोदुग्ध का सेवन करे

वैद्य:- कांचन अमित सूर्यवंशी

Back to top button