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संघर्ष में जन्म व जन्म से संघर्ष का नाम है बजरंग दल

सेवा सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी के संबल के आधार पर बजरंग दल( bajrang dal) अभी तक की अपनी सभी परीक्षाओं में खरा उतरा है। जन्म: 8 अक्टूबर 1984 को श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के लिए प्रारंभ हुई श्री राम जानकी रथ यात्रा जब अयोध्या से लखनऊ को प्रस्थान कर रही थी तब उसकी सुरक्षा हेतु कुछ हिंदू युवाओं का एक समूह पूज्य संतों ने बनाया। उस समय कुछ असामाजिक तत्वों और जिहादी मानसिकता के लोगों ने हमले की धमकी दी थी। इसके बावजूद, स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा देने से मना कर दिया था। अपनी पहली परीक्षा को उसने अपने अटूट विश्वास के साथ पास किया।

जब 26 मार्च 1985 को राम भक्तों के बलिदानी जत्थे के निर्माण पूज्य संतों ने आह्वान किया तब 50 लाख से अधिक राम भक्तों की भर्ती इस जत्थे में की गई थी। तत्कालीन सरकारों द्वारा आंदोलन को दबाने के कुत्सित प्रयास के विरुद्ध हिंदू समाज ने 19 दिसंबर 1985 को उत्तर प्रदेश बंद का आह्वान किया। बजरंग दल के शैशव काल का यह प्रथम सफल अभियान था।13 जुलाई 1989 को अनेक प्रांतों के कार्यकर्ता लगभग 10,000 की संख्या में एकत्र होकर बजरंग दल के दीक्षा समारोह में सह भागी बने।

अक्टूबर 1989 में रामशिला पूजन की बात हो या 10 नवंबर 1989 को राम जन्म भूमि पर शिलान्यास की, बजरंग दल ने बिना किसी हमले की परवाह किए संपूर्ण समाज के साथ शिलान्यास में भाग लिया। धर्म जागरण यात्रा की बात हो या चेतावनी दिवस की, श्री राम ज्योति यात्राओं ने बजरंगदल को हिन्दू सुरक्षा चक्र के रूप में स्थापित कर दिया।30 अक्टूबर 1990 को कार सेवा के संतो के आव्हान पर बजरंग दल ने अपने सब प्रकार की यातनाओं व कष्टों को आनंद के साथ सहा।

2 नवंबर 1990 के द्वितीय चरण की बात हो या 6 दिसंबर 1992 को ढांचे के गिरने के दिन की, इन सब कार्यक्रमों के माध्यम से बजरंग दल देश में एक युवा सामर्थ्य का प्रतीक बन गया।

11 जुलाई 1993 को जब बजरंग दल से प्रतिबंध उठा तो 22 जून 1993 को इसके प्रांत संयोजकों की अखिल भारतीय बैठक दिल्ली में हुई और वहीं से इसका अखिल भारतीय स्वरूप संपूर्ण देश को नजर आया।

सामाजिक समरसता की दृष्टि से महर्षि वाल्मीकि यात्रा, जनजाति समाज से जुड़े महा-पुरुष सिद्धू कान्हु की संत यात्रा की बात हो या, अंबेडकर जयंती की या फिर स्वामी विवेकानंद जयंती की, बजरंग दल ऐसे महान संतो के आदर्श संदेशों को जन जन तक ले जाता है।

‘गाय नहीं कटने देंगे- देश नहीं बटने देंगे’ के पुनीत संकल्प के साथ बजरंग दल का पहला अखिल भारतीय सम्मेलन प्रयाग की पावन धरा पर लगभग डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं की सहभागिता के साथ उत्साह पूर्वक संपन्न हुआ।

20-21 जनवरी 1996 को गौ रक्षा के लिए दिन-रात एक करने वाले बजरंगी युवकों का समर्पण किसी से छुपा नहीं है।

वर्ष 1996-97 को विश्व हिंदू परिषद ने गोरक्षा वर्ष के रूप में मनाया था। जिसके माध्यम से बजरंग दल ने डेढ़ लाख से अधिक गोवंश को कसाईयों के चंगुल से मुक्त कराया था।

एम एफ हुसैन की हिंदू देवी देवताओं के संदर्भ अश्लील चित्रण की बात हो या हिंदू देवी देवताओं के अन्य प्रकार से व्यावसायिक दुरुपयोग की शिकायतों की बात हो, दल ने हमेशा से उनका न सिर्फ डटकर विरोध किया बल्कि ऐसे सब हिंदू द्रोहियों को लोकतांत्रिक तरीके से सबक भी सिखाया।

वर्ष 1996 में जब कश्मीर घाटी के आतंकियों ने खुली चेतावनी दी थी कि अगर कोई अमरनाथ यात्रा में आया तो जिंदा नहीं जा पाएगा, बजरंग दल ने ही उस चुनौती को स्वीकार किया था और यात्रा में देश भर से बजरंग दल के 100,000 युवाओं के साथ कुल मिलाकर लगभग तीन लाख शिवभक्त दर्शन करने पहुंचे। सामान्य तौर पर 5 से 6 हजार यात्री ही जा पाते थे। अब वहाँ प्रतिवर्ष लाखों शिव भक्तों द्वारा दर्शन हेतु जाना आज तक अनवरत जारी है.

1998 में अमेरिकी दादागिरी के विरुद्ध बजरंग दल ने जब पेप्सी और कोकाकोला के प्रयोग को देशवासियों द्वारा बंद करने का आव्हान किया तो उसका असर यह हुआ के कंपनी के गुजरात में नरोडा स्थित प्लांट को बंद करना पड़ा।

बात चाहे जिहादियों की पोल खोलने की हो या ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के षडयंत्रों को ध्वस्त करने की, बजरंग दल ने अनेक वार इन आतंकियों व धर्म-द्रोहियों के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद की।

बजरंग दल का प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन 18-19 फरवरी 2000 में भोपाल में आयोजित हुआ। इसकी राष्ट्रीय कार्यशाला पहली बार 3 से 5 मार्च 2000 को वृंदावन में हुई जिसमें सीबीआई के पूर्व निदेशक सरदार जोगिंदर सिंह मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित हुए।

2005 में आतंकवाद के कारण लगभग बंद हो चुकी, पुंछ व राजोरी के पास स्थित बाबा बुढ़ा अमरनाथ की यात्रा को पुन: प्रारंभ करने का श्रेय बजरंग दल को ही जाता है जो, पिछले 17 वर्षों से अनवरत रूप से वहां बचे मात्र 7% हिंदू समाज को न सिर्फ संबल प्रदान करती है अपितु, शेष भारत से उनको गहराई से जुड़ती भी है।

हुतात्मा दिवस यानी 2 नवंबर 1990 के निहत्थे कारसेवकों के बलिदान दिवस की स्मृति में जो रक्तदान शिविर आयोजित किए जाते हैं उनसे लगभग एक लाख यूनिट रक्त प्रतिवर्ष रक्त बैंकों में जमा हो जाता है। कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में दत्त पीठ नाम के प्राचीन हिंदू तीर्थ की यात्रा बजरंग दल 2012 से कर रहा है जहां मुस्लिम समाज का उस पर कब्जा प्राय: हो चुका था।

कर्नाटक (karnataka) के ही हंपी में हनुमान जी की जन्मस्थली पर हनुमान जयंती यात्रा भी अद्भुत तरीके से बजरंग दल आयोजित करता है। तेलंगाना में हनुमत माला धारण करके पिछले 15 वर्षों से हनुमान जयंती के दिन विराट यात्रा निकाली जाती है जिसमें लाखों युवक शामिल होते हैं।

सेना के सम्मान में सदैव बजरंगदल मैदान में रहता है। मेजर गोगोई जिन्होंने पत्थरबाजों को जीप पर बांध करके घुमाया था, के सम्मान में लाखों की संख्या में बजरंगीयों ने एकत्र होकर 2 मई 2017 को देश के 1250 स्थानों पर प्रदर्शन कर पत्थरबाजों के पुतले जलाए।

रामसेतु आंदोलन में तथा बाबा अमरनाथ की भू-मुक्ति आंदोलन में भी इसकी भूमिका बहुत बड़ी है। डोकलाम प्रकरण में भी चीन को सबक सिखाने हेतु 1 सितंबर 2017 को भारत में उसने लगभग 1100 स्थानों पर चीनी वस्तुओं की होली चलाई।

धर्मांतरण, लव जिहाद, लैंड जिहाद व जनसंख्या जिहाद पर अंकुश के साथ अनेक प्रकार के हिंदू समाज और राष्ट्रीय प्रतीकों के सम्मान में बजरंग दल सदैव मैदान में रहता है। सेवा सुरक्षा व संस्कार को आधार बनाकर के समाज का सुरक्षा कवच बने बजरंग दल का ध्येय वाक्य है: ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम’

घोषवाक्य है: ‘जय कारा वीर बजरंगी, हर-हर महादेव’
बोध सूत्र है: ‘सेवा-सुरक्षा-संस्कार’
सामान्यतया इस की टोली में संयोजक, सह-संयोजक, साप्ताहिक मिलन प्रमुख, बोलोपासना केंद्र प्रमुख, विद्यार्थी प्रमुख, सुरक्षा प्रमुख व गौ रक्षा प्रमुख होते हैं। इसके साथ प्रांत स्तर पर प्रशिक्षण प्रमुख भी होते हैं।

इसके संगठनात्मक कार्यों में साप्ताहिक मिलन केंद्र चलाना, बोल उपासना केंद्र चलाना, त्रिशूल दीक्षा समारोह आयोजित करना, वार्षिक उत्सव का आयोजन करना, प्रशिक्षण-अभ्यास वर्ग लगाना, अधिवेशन करना, भर्ती अभियान व बैठक करना शामिल हैं।

आंदोलन कार्यों में किसी भी सामाजिक, राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, धार्मिक, अस्मिता पर आघात होने पर धरना प्रदर्शन पुतला दहन आदि शामिल है। रचनात्मक कार्यों में सामाजिक कुप्रथा या बुराई का उन्मूलन जैसे छुआ-छूत, दहेज, व्यसन, कन्या भ्रूण हत्या, गौ हत्या इत्यादि। राष्ट्रीय चरित्र और व्यक्तिगत चरित्र निर्माण करना, राष्ट्रीय मुद्दों पर प्रबोधन कीहेतु कार्यक्रम आयोजित करना जैसी जनसंख्या असंतुलन मतांतरण /धर्मांतरण, मंदिर प्रवेश इत्यादि।

सेवा अर्थात शिक्षा, चिकित्सा, युवाओं में सशक्तिकरण, कौशल विकास, सामाजिक विषयों से जुड़े अनेक प्रकार के सेवा कार्य चलाना जैसे कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, ट्यूशन सेंटर, रक्तदान शिविर, चिकित्सा कैंप, धार्मिक यात्राओं में सहयोग, शिक्षा सामग्री का वितरण, बाढ़-भूकंप आदि प्राकृतिक आपदा में सेवा, युद्ध या मानव निर्मित आपदा में सेवा इत्यादि।

कुछ आँकड़े और:

-गत 3 वर्षों से मेवात की शौर्य यात्रा उन क्षेत्रों में प्रारंभ की जहां हिन्दू नगण्य हो चुके,
-1996 से अभी तक लगभग 86 लाख गौ-बंस को बचाया
-गत 10 वर्षों में 5 लाख से अधिक पेड़ लगाए
-हुतात्मा दिवस के उपलक्ष्य में 2015 से प्रतिवर्ष लगभग एक लाख यूनिट रक्त दान किया,
-हजारों बेटियों को लवजिहाद व अन्य प्रकार के जिहादी आक्रमणों से मुक्ति दिलाई,
-हिन्दू त्यौहारों, मंदिरों संतों, आस्था के केंद्रों की सुरक्षा की,
-धर्मांतरणकारी ईसाई मिशनरियों की चंगाई सभाओं व अन्यप्रकार के प्रपंचों से अनुसूचित जाति व जन जाति समाज के साथ अन्य हिंदुओं को बचाया।

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