News

धारा ३७० हटने के बाद जम्मू -कश्मीर में भूखंडों का मूल्य छह गुना बढ़ा

अनुच्छेद ३७० को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में भूखंडों के मूल्य लगभग छह गुना बढ़ गए हैं। तीन लाख रुपये प्रति कनाल (कट्ठा या गुंठा) के प्लाट अब १८ लाख रुपये प्रति कनाल की दर से बिक रहे हैं।अगस्त २०२० में धारा ३७० हटाए जाने के बाद से अबतक अन्य राज्यों के ३४ लोगों ने वहां भूखंड खरीदे हैं और आसन्न वित्तवर्ष में वहां भूखंड खरीदनेवालों की संख्या में और वृद्धि की आशा है। कई लोग भविष्य को ध्यान में रखकर वहां भूखंड लेने के लिए निवेश कर रहे हैं। निवेशकों को विश्वास है कि अभी किये गए निवेश से भविष्य में लाभदायक व्यवसाय के अवसर पैदा होंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च स्तरीय सूत्र ने बताया कि ये सभी संपत्तियां पंजाब और दिल्ली के व्यापारियों और पेशेवरों सहित व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई हैं। उनके अनुसार ये भूखंड बहुत बड़े नहीं हैं और जम्मू कश्मीर में बड़े पैमाने पर हॉलिडे होम या फार्महाउस स्थापित करने के लिए भूखंड की मांग बढ़ रही हैं।

केंद्र सरकार ने धारा ३७० हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में भूमि के क्रय -विक्रय नियमों को बदल दिया और ‘जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा १७’ से “राज्य के स्थायी निवासी” वाक्यांश को हटा दिया।यह राज्य से बाहर के लोगों को भूखंड के क्रय-विक्रय से संबंधित धारा थी। अब उन लोगों को भी गैर-कृषि योग्य भूखंड विधिवत की जा सकती है जो जम्मू -कश्मीर राज्य के स्थायी निवासी नहीं हैं। इसका लाभ उठाते हुए ३४ लोगों ने वहां के शहरी क्षेत्र में भूखंड खरीदे हैं। अनुच्छेद ३५ ए ने जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को क्षेत्र में संपत्ति हासिल करने से रोक दिया। अक्टूबर २०२० में, केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के लिए नए भूमि कानूनों को अधिसूचित किया, जिसमें अन्य प्रावधानों के अलावा, बाहरी लोगों द्वारा गैर-कृषि भूमि की खरीद की अनुमति दी ,हालाँकि, ये नए संशोधन केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख पर लागू नहीं हैं।

अक्टूबर २०२० में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा था कि जम्मू -कश्मीर से सम्बंधित संशोधनों ने गैर-कृषकों को कृषि भूमि के हस्तांतरण की अनुमति नहीं दी किन्तु इससे शिक्षा या स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना सहित गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए कृषि भूमि के हस्तांतरण को सक्षम करने वाली छूट मिली हैं।केंद्र सरकार ने कृषि भूमि किसानों के लिए आरक्षित की है और कोई बाहरी व्यक्ति कृषियोग्य भूखंड नहीं खरीद सकता है। उन्होने कहा था कि केंद्र सरकार चाहती है कि देश के अन्य राज्यों की तरह उद्योग भी यहां आएं ताकि इस जगह का विकास हो और युवाओं को रोजगार मिले। इसलिए जम्मू -कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान की जा रही है।

स्मरणीय है कि जम्मू-कश्मीर के भूमि -कानून में परिवर्तन पर बहुत बवाल काटा गया था और वहां के राजनेताओं ने इसके विरोध में वक्तव्य दिए थे। उन्होने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को बसाने के लिए ऐसा किया जा रहा है जिससे स्थानीय लोगों को नुकसान होगा।जबकि धारा ३७० के रहते अनेक पाकिस्तानियों ने जम्मू -कश्मीर की दोहरी नागरिकता प्राप्त करके वहां कृषि और शहरी भूखंड खरीदे थे। धारा ३७० हटाए जाने के बाद अब पाकिस्तानी नागरिक जम्मू कश्मीर में किसी प्रकार का भूखंड नहीं खरीद सकते।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button