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सोमनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनेगा सोमनाथ का नया रेलवे स्टेशन

भारतीय रेलवे ने सोमनाथ रेलवे स्टेशन को नया और भव्य स्वरूप देने का काम शुरू कर दिया है। गुजरात स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की वैश्विकता को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने सोमनाथ रेलवे स्टेशन को गुजरात की समृद्ध संस्कृति-सभ्यता से जोड़ने का प्रयास किया है। इसकी जानकारी भारतीय रेलवे ने सोशल मीडिया पर दी है।

रेल मंत्रालय ने स्वदेशी सोशल मीडिया मंच कू ऐप पर अपने आधिकारिक हैंडल से सोमनाथ रेलवे स्टेशन का प्रस्तावित डिजाइन शेयर किया है। मंत्रालय ने अपनी पोस्ट में लिखा, “श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर से प्रेरित होकर, पुनर्विकसित होने वाले सोमनाथ रेलवे स्टेशन का प्रस्तावित डिजाइन परंपरा, संस्कृति और आधुनिकता का समावेश प्रदर्शित करता है।” बता दें कि इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 134 करोड़ रुपये है।

भक्तों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक सोमनाथ मंदिर में, सालभर देश-विदेश से पर्यटक भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते रहते हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशन अपग्रेड होने पर यहां आने वाले यात्रियों व भक्तों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी। जानकारी के मुताबिक रेलवे ने रिनोवेशन के अंतर्गत स्टेशन में अलग-अलग आगमन व प्रस्थान के लिए लाउंज बनाने का काम शुरू कर दिया है। जबकि मंदिर की पौराणिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए विशेष भवन बनाया जाएगा।

२०१४ के बाद पुनःजागरण से होगा राष्ट्र निर्माण;

बख्तियार पुर रेलवे स्टेशन तो हमारी संस्कृति पर कलंक की तरह हे जिस आतंकवादी ने नालंदा विश्व विद्यालय को जला दिया था। भारत के गौरव को राख कर दिया था।पर अब २०१४ के बाद अलाहबाद का प्रयागराज ,अयोध्या में भगवान राम मंदिर ,काशी विश्वनाथ कॉरिडोर , माँ विंध्य वासिनी कॉरिडोर ७ रेस कोर्स रोड-लोककल्याण मार्ग,फ़ैजाबाद -अयोध्या,औरंगजेब रोड -कलाम रोड,…. ऐसे अनेक उदाहरण पर्याप्त यह बताने के लिए भारत की राष्ट्र चेतना अब जाग चुकी है। गुजरात से बंगाल तक पंजाब से मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र तक तमाम शहरों और क़स्बों में नामांतरण कि मांग अब जोर पकड़ने लगी हे।

“हज़ार साल की ग़ुलामी से हिंदुओं में हीन भावना पैदा हुई और ये हीन भावना क़रीब सौ-एक साल पहले हिंदुओं की आरती में भी झलकती थी जिसमें कहा जाता था – मैं मूरख खल कामी, मैं अबोध अज्ञानी,इस हीन भावना से हिंदू बाहर आ रहे हैं। हमारा आत्मविश्वास जाग रहा है.”

मध्यकाल में हुए मुसलमानों के आक्रमण, गोहत्या , भारत विभाजन, कश्मीर में अलगाववाद, धर्मांतरण जैसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें सच्चा भारतीय हिंदू जाति का नाश करने की एक हज़ार साल पुरानी साज़िश के तौर पर देखता है।

मानव जब जोर लगाता है ,

पत्थर पानी बन जाता है।

बत्ती जो नहीं जलाता है ,

रोशनी नहीं वह पाता है।

हिंदू अस्मिता वास्तव में अद्वितीय है। यह विश्व लोकमंगल के लिए सक्रिय विराट मानवीय संवेदना है। यह भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों की जीवनशैली है। हिंदू धर्म का अपना दर्शन है। अपनी अनुभूति है और विशेष वैज्ञानिक विवेक भी, लेकिन हिंदू अपनी ही मातृभूमि पर सैकड़ों वर्षों से अपमानित होते रहे हैं।

मूलभूत प्रश्न है कि हिंदू कब तक अपमानित होंगे। सहनशीलता की भी कोई सीमा होती है। यह शुभ संकेत है कि हिंदू समाज जाग गया है।

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