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नि:शुल्क 70 वर्षों तक बच्चों को पढानेवाले पद्मश्री नंद किशोर प्रुस्टी का निधन

नई दिल्ली : पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक नंद किशोर प्रुस्टी का निधन मंगलवार ७ दिसंबर को हो गया। वह १०४ साल के थे । उन्होंने ७० वर्षों तक जाजपुर स्थित अपने गांव कांटिरा में बच्चों और बुजुर्गों को पढ़ाया लेकिन कभी किसी बच्चे से शुल्क नहीं ली। सबको नि:शुल्क पढ़ाते थे ।

ओडिशा के रहने वाले नंद किशोर प्रुस्टी लोगों के बीच नंदा सर के नाम से प्रसिद्ध थे। शिक्षा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उन्हें पिछले महीने ही पद्म पुरस्कार मिला था। उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई थी और वह केवल सातवीं तक ही पढ़ पाए थे। लेकिन उन्होंने अनपढ़ बच्चों को साक्षर बनाने का फैसला किया। दशकों से नंदा अपने गांव से अशिक्षा दूर भगाने में लगे हुए थे, भारत सरकार ने उनके योगदान को पहचाना और देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से पुरस्कृत किया था ।

उन्होंने अब तक चटशाली की परंपरा को बरकरार रखा है । चटशाली परंपरा का मतलब ओडिशा में प्राथमिक शिक्षा के लिए एक गैर-औपचारिक विद्यालय से है ।

हर दिन सुबह बच्चे उनके घर के पास इकट्ठा होते थे । इन बच्चों को नंदकिशोर उड़िया के अक्षर और गणित सिखाते थे । बच्चे और बड़े अपने हस्ताक्षर करना सीख सकें, इसलिए वह जोश और जज्बे से सुबह से शाम तक तक शिक्षा देने का काम करते रहे ।

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