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भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता को मिला रामानुजन पुरस्कार

भारतीय गणितज्ञ नीना गुप्ता को अलजेब्रिक जियोमेट्रो और कम्यूटेटिव अल्जेब्रा में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए विकासशील देशों के युवा गणितज्ञों के लिए 2021 डीएसटी-आईसीटीपी-आईएमयू रामानुजन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। नीना गुप्ता, कोलकाता के भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) में गणित की प्रोफेसर हैं।

विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने बताया कि वह रामानुजम पुरस्कार प्राप्त करनेवाली दुनिया की तीसरी महिला हैं। अब तक जिन चार भारतीयों को रामानुजम पुरस्कार मिल चुका है, उनमें से तीन इंडियन स्टैटिस्टकल इंस्टीट्यूट (ISI) की फैकल्टी मेंबर हैं।

2006 में कोलकाता के बेथ्यून कॉलेज से गणित (प्रतिष्ठा ) के साथ स्नातक करने के बाद, नीना गुप्ता ने भारतीय सांख्यिकी संस्थान से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। अपनी स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद प्रोफेसर गुप्ता ने बीजगणितीय ज्यामिति में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की पढ़ाई की और वर्ष 2014 में ज़ारिस्की (Zariski’s) की ‘रद्दीकरण समस्या (Cancellation Problem)’ पर अपना पहला शोध पत्र प्रकाशित किया। उनके पेपर को एक पुरस्कार मिला और अन्य गणितज्ञों द्वारा व्यापक रूप से मान्यता मिली ।

2014 में, प्रोफेसर नीना गुप्ता को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी से ‘यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ मिला था, जिसने उनके काम को हाल के वर्षों में बीजगणितीय ज्यामिति में अब तक किए गए सर्वश्रेष्ठ कार्यों में से एक बताया। 2019 में, प्रोफेसर गुप्ता 35 वर्ष की आयु में ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र के लोगों में से एक बन गई । उन्होंने 70 साल पुरानी गणित की पहेली – ज़ारिस्की की रद्दीकरण समस्या को सफलतापूर्वक हल कर लिया है।

रामानुजन पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 45 वर्ष से कम आयु के युवा मैथमेटिशियन को गणित के क्षेत्र में नई पहचान बनाने के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड को पहली बार 2005 में दिया गया था। इसे अब्दुस्सलाम इंटरनेशनल सेंटर फॉर थ्योरेटिकल फिजिक्स और भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल मैथमेटिकल यूनियन की तरफ से संयुक्त रूप से दिया जाता है।

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