Islam

देवबंद की घटना “२०४७ एजेंडे” के ग्रासरूट तक पहुँचने की सूचक!

राजेश झा

भारत को वर्ष २०४७ तक ‘इस्लामिक स्टेट’ बनाने के लिए मस्जिदों के माध्यम से आत्मघातियों का दस्ता क्या ग्रासरूट लेवल तक तैयार कर लिया गया है ? आज सुबह उत्तर प्रदेश के देवबंद में एक मुसलमान के द्वारा कांवरियों को लेकर जा रहे ट्रक के नीचे जानबूझकर कूद उसके पहियों से दब जाने की घटना से यह प्रश्न उठा है। इससे पहले दिल्ली में कांवरियों पर मांस फेंकने की गंदी हरकत की जा चुकी है और एक मिनी ट्रक से जा रहे कांवरियों को रोककर पांच मुसलमानों द्वारा उन्हें मार-पीटकर भगाये जाने की घटना भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है।

आज सुबह “देवबन्द” जो कि (अतिसंवेदनशील जगह हैं) में “कावड़ियों” के “ट्रक” के नीचे आने से एक मुस्लिम की मृत्यु हो गयी जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया कि “कावड़ियों” ने जानबूझ कर इस व्यक्ति को मारा हैं। पुलिस ने सभी “कावड़ियों” के खिलाफ केस तुरत दर्ज कर कार्यवाही शुरू कर दी। एक बच्चा “कावड़ियों की “झांकी” का वीडियो बना रहा था। यह पूरी घटना भी उस बच्चे के मोबाइल में फ़िल्म्ड हो गई। उसके वीडियो में सामने आया कि मरने वाला मुस्लिम जानबूझ कर “कावड़ियों” के ट्रक के पिछले पहिये के नीचे कूद गया जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। चूंकि “देवबन्द” अति संवेदनशील जगह हैं ऐसी घटना से जातिय दँगा भड़ने की पूरी पूरी सम्भावना रहती हैं लेकिन इस बच्चे की बनी वीडियो से मामला शांत हो गया लेकिन सोचने वाली बात ये हैं कि मरने वाले मुस्लिम ने सुसाइड करने के लिए “कावड़ियों” के ही ट्रक को क्यो चुना ? यह एक सुनियोजित षड्यंत्र तो नही थी।

https://www.bhaskar.com/no-fake-news/news/muslim-man-gave-his-life-by-coming-under-the-truck-of-kanwariyas-in-deoband-know-the-truth-of-this-viral-video-130084413.html

मुसलमानों द्वारा अलग -अलग जगहों पर तीन पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों से कुचलकर की गयी हत्याएं हों या नूपुर शर्मा का वीडियो देखने के बहाने कत्ले आम अथवा विद्यालयों में प्रार्थनाएं रोकने की घटना देश में जरी गजवा -ए -हिन्द की गंभीरता की सूचना देती हैं।झारखंड के गढ़वा ज़िले का एक स्कूल इन दिनों बहुत चर्चा में है। कोरवाडीह गांव के इस स्कूल के बारे में बीती ४ जुलाई को मीडिया में एक ख़बर ख़ूब चली, जिसका शीर्षक था, ”मुस्लिम बोले- हमारी आबादी ७५ प्रतिशत, इसलिए नियम भी हमारे अनुसार बनें। ”ख़बर में यह भी लिखा था कि गांव के मुसलमानों ने स्कूल पर इस बात के लिए दबाव बनाया था कि स्कूल में होने वाली प्रार्थना हाथ जोड़ कर नहीं, बल्कि हाथ बांधकर हो। ख़बर के मुताबिक़, स्कूल में ‘दया कर दान विद्या का…’ प्रार्थना को बदलकर ‘तू ही राम है, तू रहीम है, तू करीम कृष्ण ख़ुदा हुआ…’ प्रार्थना करवाई जा रही है।

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के मंत्री फिरहाद हाकिम ने जब कोलकाता के गार्डन रीच को मिनी पाकिस्तान घोषित कर दिया था तो पूरे देश में हंगामा मच गया था… वहीं जब राजधानी दिल्ली दंगों से दहली थी, और जो इलाके चर्चा में आए थे, उसे भी मीडिया में मिनी पाकिस्तान ही बताया गया और ऐसा हाल तो भारत के कई शहरों में देखने को मिलता था… लेकिन अब हाल ऐसा हो गया है कि देश के कई राज्य मिनी पाकिस्तान में बदलने की ओर है। ये घटनाएं हमारे सामने टुकड़ों में अलग अलग समय पर दिखाई तो देती हैं, लेकिन हम उस पर अपनी प्रतिक्रिया तब तक नहीं देते, जब तक कि हम स्वयं उस आग में नहीं झुलस जाते हैं। और यही वजह है कि ऐसी घटनाएं, बेरोकटोक कभी गांव के लेवल पर, कभी जिले के स्तर पर, कभी मॉल पर, कभी राज्य के स्तर पर दिखाई देता है।

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