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अनुच्छेद 370 हटने के तीन साल पूरे,आतंकी हमले कम,पत्थरबाजी बंद, विकास में तेजी;

-राज्य में अब सिर्फ तिरंगा
-पथराव किसे कहा जाता हे ?
-युवाओं का ध्यान खेल और रोजगार पर

पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती प्रदेश जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने को आज तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। धारा 370 हटाने के बाद के बाद घाटी में आतंकी वारदातों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसके साथ ही लॉ एंड ऑर्डर भी मजबूत हुआ है। आतंकी घटनाओं में आम लोगों के मारे जाने की घटनाओं में भी कमी आई है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने धारा 370 को हटाए जाने के पहले और बाद के 3 वर्षों की घटनाओं की तुलना करते हुए बताया है कि कश्मीर जोन में आतंकी घटनाओं में गिरावट आई है।

इनमें लॉ एंड ऑर्डर की घटनाएं, जो 5 अगस्त 2016 से लेकर 4 अगस्त 2019 के बीच में 3686 हुई थीं, 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच में महज 438 ही हुईं। वही, 370 हटाए जाने से तीन साल पहले लॉ एंड ऑर्डर की घटनाओं में 124 नागरिकों की जान गई थी, जो 2019 से 2022 के बीच शून्य रही है। इसके अलावा 2016 से 2019 तक ऐसी घटनाओं में छह जवान भी वीरगति को प्राप्त हुए थे, मगर 2019 के बाद ऐसी घटनाओं में किसी भी जवान की शहादत नहीं हुई है।

विकास का हुआ काम,

एक तो केंद्र सरकार की ओर से बजट आवंटन में कश्मीर का खास ध्यान रखा गया है. जैसे 28400 करोड़ रुपये औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बजट बनाया गया है. इसके साथ ही 2020-21 में उद्योगों के लिए 29030 हजार कैनाल लैंड बैंक बनाए गए हैं. इसके अलावा करीब 500 एमओयू निवेश को लेकर साइन हो चुके हैं और कई अटके प्रोजेक्ट पूरे किए जा रहे हैं और नए प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। प्रशासन को जवाबदेह बनाया जा रहा है। सिटिजन चार्टर लागू किया है। हर काम के लिए एक समय-सीमा तय की गई है।

1.हर सरकारी भवन पर अब तिरंगा लहराता है। जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 10.3-10.4 फीसदी के आसपास है। यह गोवा, दिल्ली और राजस्थान से बेहतर है।‘बैक टू विलेज’ कार्यक्रम से ग्रामीण इलाकों में 50 हजार लोगों को स्व रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। 19 हजार से ज्यादा लोगों को ऋण दिया जा चुका है, जिनमें 4500 महिलाएं हैं। इस योजना में महिलाओं और युवाओं पर फोकस रखा गया है।

न्यू इंडस्ट्रियल स्कीम के तहत राज्य को 28 हजार चार सौ करोड़ का इंसेटिव दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस तरह की उद्योग नीति किसी प्रदेश के पास नहीं है। सरकार को प्रदेश में 45-50 हजार निवेश आने की उम्मीद है, जिससे आठ से नौ लाख लोगों को रोजगार दिया जा रहा है।

पथराव 85 फीसदी तक घट गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक 2019 में 1990 से अधिक पथराव की घटनाएं हुई थीं। वहीं 2020 में ऐसी 250 घटनाएं रिपोर्ट हुई।प्राइम मिनिस्टर डेवलपमेंट प्लान के तहत उसका व्यय अब बढ़कर 67 फीसदी हो गया है।जम्मू-कश्मीर में अब आईआईटी, आईआईएम निर्माणाधीन है।

दो-दो केंद्रीय विश्वविद्यालय है, निफ्ट है। दो कैंसर इंस्टीच्यूट (लेह और जम्मू ) बन रहे हैं।सात पैरामेडिकल और नर्सिंग कॉलेज बन रहे हैं। बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के साथ मिलकर एक 360 डिग्री फाइनेंसियल सर्विस की ट्रेनिंग युवाओं को दी जा रही है।टाटा टेक्नोलॉजी के सहयोग से ग्राम कौशल विकास का काम चल रहा है। महिला उद्यमियों के लिए ‘हौसला’ योजना बनाई गई है। सरकार की प्राथमिकता कश्मीरी पंडितों को प्रदेश में बसाना है। कश्मीरी पंडितों के लिए वन रुम सेट वाले 1800 फ्लैट बन रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद केंद्र ने वहां सत्ता के विकेंद्रीकरण के प्रयास तेज किए। इसके तहत ही वहां पहले पंचायत और फिर बीडीसी चुनाव कराए गए। और इन चुनावो में ६०% तक मतदान हुवा हे। यहां के निवासी बनने के नियमों में बदलाव किया गया है। अब दूसरे राज्यों के ऐसे पुरुषों को वहां का स्थायी निवासी बनाने की व्यवस्था की गई है, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की लड़की से शादी की है। अभी तक ऐसे मामलों में महिला के पति और बच्चों को जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं माना जाता था।केंद्र ने घाटी से बाहर के लोगों को कश्मीर में गैर-कृषि योग्य जमीन खरीदने की अनुमति दे दी है। पहले जम्मू-कश्मीर के लोग ही ऐसा कर सकते थे।

अब आम लोग भी स्थानीय राजनीति में खुलकर हिस्सा लेने लगे हैं। स्थानीय अधिकारी सियासी घरानों से इतर आम लोगों को विकास योजनाओं में सहभागी बनाने लगे हैं। प्रशासनिक सहभागिता का ही असर है कि कोरोना टीकाकरण अभियान में जम्मू-कश्मीर का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। पंचायतों से लेकर जिला स्तर नया नेतृत्व उभरकर सामने आया है। ऐसा माहौल तैयार करने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।विकास और कश्मीर के बीच की दीवार अब ध्वस्त हो चुकी हे,पाकिस्तान और चीन भारत राष्ट्र की प्रगति से बड़े आहत है।

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