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संघ की वैचारिक संरचना के आधार स्तंभ हैं ‘रंगा हरिजी’..

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ज्येष्ठ प्रचारक रंगा हरिजी (ranga hariji) रविवार को दि. 29 अक्टूबर को निधन हो गया । उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतू गुरूवार दि. 16 नवंबर को मुंबई के यशवंत भवन में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई थी। उस समय प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंद कुमारजी( j nandakumarji) बोल रहे थे।

मर्त्य जब जिंदा है तो बहुत सारे बातें स्वयं कर सकते हैं लेकिन मर गया है तो फिर सहयोगी को विनती करना पड़ता है इसलिए मैं विनती कर रहा हूं मेरी मृत्यु के बाद मेरे मृत शरीर इसका जो दहक दहन किसी जाति विशेष के शमशान में नहीं करना चाहिए। ने किसी ने स्पेसिफिकली किस जाति के यह नहीं करना ऐसा नहीं बताया उन्होंने एंटीसीपेट किया कुछ पॉसिबिलिटीज क्योंकि वह कोच्चि का व्यक्ति है कोच्चि में जन्म हुआ एर्नाकुलम में एक विशेष्य जाति समुदाय स्वाभाविक रूप में सभी को जाती होते हैं उसे जाति में उनका भी जन्म हुआ है बहुत बड़ा परिवार है इसलिए स्वाभाविक रूप में मृत्यु के बाद कोई रिश्तेदार आकर बताए तो संग्रह अधिकारी लोग क्या करेंगे देना ही पड़ेगा ऐसा है तो सीधा जाएगा किसी जाति विशेष का श्मशान में इसलिए होगा मान्यारंग हरि जी पहले शुरू में ही वह बताया मेरा मृत शरीर सभी हिंदू जाति वर्ग के जो दाह संस्कार जहां करते वहां करना चाहिए उनके मन में एक और इच्छा वह प्रकट किया था दूसरे कार्यकर्ता को वह भारत नदी के तट पर भारत खंड में आईवरमथम में करना है।

आप में से कितने केरल के लोगों को मालूम है पूरे भारत में पूरे विश्व में भारत इस नाम से पुकारने वाले एक ही नदी है वह केरल में है भारत नदी उसका नाम ही भारत नदी है भारत पूरा मलयालम में करते हैं और इसमें एक 25 30 किलोमीटर का एक लंबा स्ट्रेट है उसे स्ट्रेट बढ़ाते हैं वहां सीधा वह स्ट्रेट्स बढ़ाने वाले जो स्ट्रेट का जो खंड का नाम भी बहुत सारे इसमें बैठे हुए लोगों को पहले जानकारी होंगे ऐसा मुझे लगता है वह खंड का नाम भारत खंड है अभी भी वहां एक श्मशान है वह शमशान का स्थान का नाम है आयुरमैथम मलयालम में आयुवर मीन्स पांच व्यक्तियां पांचव्यक्ति यानी पांडव पांडव उनके प्रवास के बीच में पांडु सहित उनके पूर्वजों के क्रिया जहां के हैं|

वह स्थान है उनके मन में इच्छा वही थे यहां दो-तीन लोगों ने टनल में जाकर टनल बालिका आश्रम में जाकर हरि जी से मुलाकात हुई यह सब बताया था वह टनल के पास में है यह शमशान वहां करना चाहिए ऐसा बताएं तीसरा उन्होंने बताया क्रिया के दहक्रिया के साथ-साथ समानता कुछ क्रिया करते हैं एक समानता प्रत्यक्ष दाह संस्कार का कुछ करिया है यह बिल्कुल एक भी क्रम में ब्रह्म कपाल में मेरा आत्मा पिंड कर चुके हैं पूजनीय गुरूजी के जीवन में अपने पड़े होंगे ऐसा मान्य रंग हरि उसे समय ही बाकी सभी लोगों को मालूम हो गया केरल के कार्यकर्ताओं को भी मालूम हो गया हरि जी ब्रह्मा कपाल में उनके आत्म पिंड कर चुके हैं इसलिए कोई आवश्यकता नहीं और दूसरा, तीसरा ,चौथा जो उन्होंने बताया दाह संस्कार के बाद जो चीता भस्म या अस्ति एक की पीसी में या नहीं इसका मतलब सामान्यतः बड़े-बड़े लोगों का जो चिता भस्म 4- 5 टुकड़े में बाटते हैं फिर गंगा में लेकर जाते हैं यमुना में लेकर जाते हैं|

कश्मीर में लेकर जाते कही पर लेकर नहीं जाना चाहिए पास में जो भारत नदी है भारत पूजा है वहां बहाना चाहिए कब बाकी किसी में लेकर नहीं जाना और एक बात बताया केरल के जो बात सुरेश बाबूजी जैसे कन्नूर जिला के रिलेटेड कार्यकर्ता बैठे हैं वह उनके मन में थोड़ागुस्सा जाएगा लेकिन फिर भी मैं बता रहा हूं उन्होंने यह भी बताया केरल में एक गलत कहो ठीक कहो एक प्रथा मृत्यु के बाद एक प्रथा डेवलप हो गया डेवलप होने के कारण वहां निरंतर संघर्ष होते हैं सब विषय संघर्ष के जो महीने पर देखते हैं संघ स्वयंसेवक मान लीजिए एक मार्कशिष्ट व्यक्ति मर गए दूसरे घर पर स्वयंसेवक भी मर गए संघर्ष में मार्किस पार्टी के जो कम के जो व्यक्ति मर गया है तो उनके दास संस्कार के साथ-साथ उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद नारा लगाते हैं |

स्वयंसेवक इसको भी एक युद्ध के रूप में देखते हैं इसलिए मेरे घर के स्वयंसेवक की मृत्यु के बाद भारत माता की जय नारा लगाते वहां तो लाल कपड़े में उनका जो एक तरीका है लाल कपड़े में लपेटते थे शरीर हरि जी संघस्वयं भगवा कलर पर करते हैं और वहां हमारे पास एक एक प्रकार से ट्रंप कार्ड है प्रार्थना अंतिम प्रार्थना भी कहते थे शमशान में हरि जी उसे समयसे लेकर इसके विरोध में है लेकिन क्या है स्वयंसेवकों के भावना का विषय है इसलिए उसमें इसलिए उसमें चोट पहुंचाना वह नहीं चाहते थे लेकिन हे वास वेटिंग फॉर हिस डेथ – डैट इट मस्ट बी करेक्टेड ए करेक्ट होना चाहिए मेरे डेथ के साथ इसलिए उन्होंने लिखा है कम से कम मेरे शरीर के ऊपर कोई भगवा कलर का भगवा कलर पवित्र है वो नहीं एक करना चाहिए एंड अलसो भारत माता की जय या प्रार्थना या अंतिम प्रणाम अंतिम प्रणाम भी करते थे स्वयंसेवक यह नहीं करना चाहिए ये भी बताया और उसके साथ उन्होंने जो पुस्तकों के बारे में उल्लेख किया था|

मैं करेक्ट उनका जो पुस्तकों के नंबर बताऊंगा 43 पुस्तक उन्होंने उनके ओरिजिनल बुक्स है मलयालम में 22 लगभग 12 हिंदी चार कोंकणी इंग्लिश ऐसा करके 43 बुक्स उनका स्वयं का ओरिजिनल कृतियां है ट्रांसलेशन से और इसके साथ-साथ 10 उनका कंपाईलेशन है जो गुरुजी समग्र सहित मतलब 62 कृतियां 50, 50 से अधिक करने की जरूरत नहीं है स्पष्ट रूप में है 62 बुक से ये पूरा बुक्स का जो अधिकार उन्होंने संघ संघ का एक ट्रस्ट को लिखकर भी लिखकर रखकर भी गया था इसके साथ उन्होंने एक मार्मिक अंतिम प्रार्थना करके एक प्रार्थना छंदोंबद्ध तरीके से अनुष्टुप छंद में लिखा हुआ तीन श्लोक सहित एक प्रार्थना भी लिखकर गए हैं अपने से कई लोगों ने यह प्रार्थना पड़े होंगे हरि जी का पड़े होंगे मतलब मृत्यु के बाद पड़े होंगे लेकिन मैं इसका उल्लेख फिर से इसीलिए कर रहा हूं हम सब स्वयंसेवक लोग हैं हमारे लिए एक पाथेय देकर गए हैं माननीय रंगा हरिजी उन्होंने उसमें पहले ही लिखा था|

आठ अक्षर वाला अनुश्टुप छंद में लिखा है “करणीयम कृतम जन्मम” मेरा अपूर्ण मेरा यह जन्म पूरा कर दिया मैंने उन्होंने इसमें उसके साथ-साथ उन्होंने लिखा धन्योस्मि कृत कृत्योंष्मी मेरा यह जनम धन्य था जो कुछ करना था सब कुछ मैंने कर चुका है गच्छयाम मध्य चिरम ग्रहम मेरा परमानेंट ग्रह के तरफ में जा रहा हूं इतना लिखने के बाद उन्होंने उनको उनके इच्छा एक अच्छे कार्यकर्ता स्वयंसेवक प्रचारक इस रूप में उनका जो इच्छा उन्होंने बताया मैंने हम लोगों ने बहुत सारे क्रांतिकारियों के जीवन में यह सुना है उधम सिंह ने लिखा है बाकी लोगों ने भी लिखा है|

उसे प्रकार उन्होंने लिखा कार्यार्थम पूनरायातून में कार्य पूरक पूरा करने के लिए आई विल कम अगेन आई वांट टू कम अगेन तथा प्यासासती में हृदय मेरे हृदय में वह आशा एक ही है एक ही आशा है वापस मुझे आना चाहिए मित्रस्य मित्रयआईस सहकर्म कुर्मम हम सभी लोगों को मित्र जैसा देखते हैं वह बताते हैं जो मित्र को मेरे संघ मेरे को संघ में मिले हैं ऐसे सभी संघ मित्रों के साथ काम करने के लिए ‘स्वांत: सुखमेव हृदि ‘स्वांत: सुखाय मे हृदि एक की सुख के लिए मेरे हृदय तड़पते हैं उसके लिए इतना लिखने के बाद तीसरा श्लोक आप देखिए वो इतना उच्च व्यक्ति है ईश्वर के इच्छा के विरोध में कुछ बताएं क्या मैं ऐसा सोचकर वह कहते हैं यह जो मैंने प्रार्थना लिखी वह प्रार्थना अहंकार है क्या ईश्वर में मेरा अहंकार बता रहे हैं क्या यति चैत प्रार्थना दृष्ट यह प्रार्थना दृष्टा है अहंकार है तो छमस्व करुणानिधे मेरे को क्षमा दीजिए छमस्य कार्यामिथं तवै अस्ति एट द एंड ऑफ़ द डे यह कार्य सब आपका है .. .. .. .. .. ऐसी आपका ही इच्छा बलवान होना चाहिए|

ऐसा करके लिखकर जो एक अच्छा कार्यकर्ता स्वयंसेवक को दूसरा कुछ आग्रह नहीं है हमने जो कार्य अपना लिया है देखिए हरि जी अद्वैत वेदांत में नीचे स्तर तक इसके गहराई में डूबे हुए व्यक्ति थे मानो शंकराचार्य को पूरा पड़ा है उन्होंने वेदांत मालूम है एक जिंदगी का उद्देश्य क्या है वह मुक्ति पाने के लिए है यह सब पता है लेकिन लेकिन वह बता रहे हैं मेरे को मुक्ति की जरूरत नहीं है मोक्ष की जरूरत नहीं है मेरा एक ही इच्छा है फिर से वापस आना इसलिए वह होंगे इधर हमारे साथ वो फिर से काम करना चाहते हैं ऐसे बड़े व्यक्ति रंग हरि जी ऋषि थे संघ का जो ऋषि थे ज्ञान का जो ऋषि है हमेशा ज्ञान का बरसाते हुए उनका एक-एक वाणी बच्चों के साथ कहो नहीं तो प्रौढ़ होंगे साथ कहो प्राध्यापकों के साथ कहो ऑटोरिक्शा ड्राइवर के साथ कहो हमेशा उनसे ज्ञान का जो वर्षा होते रहते थे|

पूजनीय सरसंघचालकजी यह पृथ्वी सूक्त इसका जो एन और टू द मदर अर्थ ऐसा करके उन्होंने कंमेंट्री लिखा उसे कंमेंट्री का जो विमोचन के समय पूजनीय मोहन जी ने एक बात बताया यह ज्ञान का जो वर्षा था पर माननीय रंगा हरि जी आप चाहो ना चाहे आपके पास छतरी होंगे ना होंगे लेकिन बारिश में चला है तो थोड़ा बहुत आप भीग जायेंगे उसे प्रकार रंगा हरीजी के पास गया है तो आप भी उसे ज्ञान से बिक जायेंगे आपके अंदर भी कुछ ना कुछ नया बात है हरीजी से मिलने के लिए मैंने जो बताए कम से कम 45-46 यर्स का जो परिचय है मेरा मतलब 12 साल से प्रारंभ हो गया हरि जी का जो उंगली पड़कर चलने का और तब से लेकर ऐसा नहीं लगा एक की विषय एक ही कहानी दूसरी बार मैंने नहीं सुना हमेशा नया-नया जो बातें बचपन से लेकर अभी तक यह पिछले अक्टूबर महीना अगर देखा ही तो मेरा सौभाग्य में मानता हूं सितंबर आ 20 से लेकर अक्टूबर 29 तक कम से कम छह बार मिलने का मौका मिला यह पृथ्वी सूक्त का जो विमोचन का जो दायित्व उन्होंने मेरे को दिया था|

दिया मतलब ऐसा बताया नहीं लेकिन उनके मन में इच्छा थी अंग्रेजी पुस्तक है कंमेंट्री है ईटी मस्ट गो टू द एकेडमिक फील्ड ऐसा उनके मन में इच्छा थी इसलिए दिल्ली में वह मोचन करने का तय किया उसका दायित्व पास में मेरे पास होने के नाते बीच-बीच में मिलने का एक सौभाग्य मिला उसे समय भी उसे समय भी बातचीत लगभग बंद हो गया था वह एक सावरकर वीर सावरकर जी का साहित्य में इतनी ज्यादा अध्ययन किए हुए व्यक्ति भी थे सावरकर जी बहुत इनफ्लुएंस भी किए थे बहुत सारे विषयों के ऊपर उनके मेरे को सामान्यतः लगता हैं अंत में 15 दिन में अगर देखा है तो पहले उन्होंने लेखनी बंद किया कुछ समय के बाद वाणी बंद किया बंद किया है क्या पता नहीं मेरे को आइकॉन से था हे हस स्टॉप्ड आईटी और वेदर ईटी सामान्यतः ऐसा ही बंद हो गया एकदम मुझे मालूम नहीं है लेकिन बंद किया ऐसा सोचना ज्यादा ठीक रहेगा कुछ समय के बाद सॉलि़ड फूड उन्होंने बंद कर दिया नहीं तो लेना नहीं हो रहा था पानी लेना भी बंद किया|

अंत के दो-तीन दिन में लेकिन आप में से कितने लोगों को मालूम है स्वयंसेवक लोग इस नाते हम सब याद रखना चाहिए 24 तारीख विजयदशमी था हम में से कितने लोग उसे दिन 24 तारीख सुबह 6:00 को टीवी ऑन करके नहीं तो आपके कंप्यूटर ऑन करके पूजनीय सरसंघचालक जी का विजयदशमी बहुत ही सुने हैं मुझे मालूम नहीं है किया है तो बहुत अच्छा है लेकिन 24 तारीख को उस समय कैंसर उनको कर्क रोग भी थे लेटर स्टेज में वह भी डेवलप टू द ट्रस्टों था मुझे ये मेडिकल इसका टर्म वगैरा नहीं मालूम है डॉक्टर ने बताया सामान्यतः कैंसर के जो स्प्रेड के समय चार-पांच पॉइंट्स दिखाते थे लेकिन माननीय रंग हरि जी का उसे समय ठाउसन्द पार कर चुके थे एक-एक कोर्स में एक-एक सेल में पेन एक प्रकार से सुई इस प्रकार अंदर घुस जाते थे उसे प्रकार पेन का अनुभव हो रहा था फिर भी उनके चेहरे का प्रसन्न चेतसो ह्याशु बुद्धिः पर्यवतिष्ठते प्रसन्न चेतन उनके बुद्धि का जो स्थिरता का लक्षण था उसे प्रसन्न वतन के साथ उन्होंने साथ ही साथ ही कार्यकर्ता सुनील को बताया टीवी ऑन करो टीवी ऑन करके विजयदशमी कार्यक्रम नागपुर के विजयादशमी कार्यक्रम को देख रहे थे|

देखने के साथ पूजनीय सरसंघचालक जी को सुनना चाहिए उनको सुनाने के लिए उन्होंने कार्यकर्ता क्योंकि कान को थोड़ा श्रवण शेष ही थोड़ा काम था इसलिए वह मशीन भी लगाया नहीं था उनको बताया मोबाइल ऑन करके मेरे कान पर रखो हाउ मान्य ऑफ़ यू हैव डन आईटी यू हैव टू थिंक अबाउट दिस जो हम तो बताते हैं हरि जी के बारे में मैं फिरभी आज मैं पूछ रहा हूं हरीजी ने उनको बताया है मुझे सुनना चाहिए मेरा सरसंघचालाक जी क्या बता रही है इस साल ऐसा सुन रहे हैं 10:15 एक सवा घंटा बौद्धिक पूरा सुना पूरा सुना बाद में वह कुछ देर के लिए सोया इसके पांचवा दिन देखे 24th को यह हुआ 29 को उनका अन्त्य हुआ जब यह पृथ्वी सुप्त का विमोचन के बाद उसे रिपोर्ट देने के लिए मैं अस्पताल में गया था|

तब जाकर भी उन्होंने एक बात मेरे को पास में बुलाकर उन्होंने बताया सरसंघचालक जी ने क्या बताया क्या पोयम बताया यह पूछ रहे थे ऐसे कण कण पल पल संघ स्वयंसेवक इस स्वरूप में जिए ऐसे व्यक्ति हम सभी को पूज्यनिय सरसंघचालक जी ने बताया आज के संघ के पलक थे पूजनीय सरसंघचालक माननिय हरिजी पालक इस रूप में काम किए थे उनके एक-एक वाणी से हमको कितने बातों को बातों के जानकारी मिली एक नया रिश्ता ओपन करते हैं एक-एक बहुत ही के साथ उनके रचना भी उसे प्रकार का है परसों कोच्चि में श्रद्धांजलि सभा में आए हुए एक कम्युनिस्ट विचारक प्रोफेसर एमके सानू महाराज कॉलेज में प्रोफेसर प्रिंसिपल्स वह सब रहे वह बहुत कम्युनिस्ट पार्टी का कार्ड होल्डर है क्या पता नहीं लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़े हुए व्यक्ति हैं उन्होंने बताया मेरे को यह बताने में कोई हर्ज नहीं है मैं ऐसे व्यक्तियों को बहुत ज्यादा मिले नहीं है एक-एक भाषण अनुसंधान योग्य बातें बताने का जो क्षमता मैं दूसरे किसी व्यक्ति से नहीं देखा था|

दिस हैस बीन सैद बाय ए कम्युनिस्ट विचारक एम्स सहित एम्स एक शंकर पद सहित कम्युनिस्ट पार्टी के विचारों के साथ काम किए हुए एम के सानू मास्टर कह रहे है आई हैव नेवर सीन सच्चे पर्सनालिटी हो इस स्पीकिंग ऑलवेज अबाउट रिसर्च ओरिएंटेड वी केन रिसर्च ओं हिस स्पीशीज उनके स्पीच के बारे में रिसर्च कर सकते हैं यह कैसा होता है उनके तपस्या से होते हैं तपस्या के कारण यह अटेंड डैट चित्त शुद्धी वह चित्त शुद्धि के कारण ही है बाकी किसी कारण से नहीं है चित्त शुद्धि के कारण ही उनके जो स्मरण शक्ति वह स्मरण शक्ति के बारे में बताना है तो बहुत सारे बताने के लिए 45-46 इयर्स का अनुभव बहुत ज्यादा है इसलिए तो मैं उसमें नहीं जा रहा हूं केवल एक ही उदाहरण बढ़कर में समाप्त कर रहा हूं एक बार संघ शिक्षा वर्ग में बौद्धिक विभाग के दायित्व इस स्वरूप में मैं भी था|

अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख और प्रांत प्रचारक था मान्य रंग हरि जी एक दिन रात को मैं व्यवस्था बैठक सब पूरा करके कमरे में जा रहा था अधिकारी विभाग के जो बरामदा में थोड़ा सा लाइट दिखा वहां एक छोटा सा अमीन कम प्रकाश वाला एक लाइट जलाकर हरि जी एक कुर्सी लेकर बैठे हैं बाहर कमरे में और अधिकारियां हैं उनको कष्ट न देने के लिए उन्होंने बाहर बैठकर पढ़ रहा था मै पीछे से जाकर देखा the बुक वास रिटेन बाय प्रोफेसर एस वी. ससेगरी राव ऑन कम्युनिस्ट पार्टी एंड ऑफ साइंटिफिक उटटोपिया यह नया बुक्स पुस्तक था मैंने देखा वह पीछे कोई आए वह भी उनको मालूम नहीं था|

इतना ध्यानपूर्वक को अध्ययन करते हैं वह हम सभी को मालूम है मैं सामने आकर पूछा हरि जी सोना नहीं है क्या नहीं नहीं आज यह पुस्तक मिला मेरे को यह पूरा करना है एक पुस्तक मिला 300 पेजेस आसपास है रात को बैठकर ही पूरा करना है पूरा करने का उद्देश्य क्या है वह भी उन्होंने दूसरे दिन प्रकट व्यक्त कर दिया जब लिखो अल्पाहार चल रहा था सुबह-सुबह अधिकारियों के साथ हम सब बैठे थे उसे समय उन्होंने यह पुस्तक लेकर देखिए कल तो पूरा कर दिया आज हम में से किसी को देना है पढ़ने के लिए यह पहले इन्होंने देख मेरे को दिखाकर उन्होंने बताया उन्होंने देखा यह पढ़ने का इसलिए उनको दे रहा हूं यह पुस्तक ऐसा करके वो पुस्तक मेरे को दिया मैंने भी कस्ट सहन करके वह पूरा कर दिया पुस्तक बहुत साल बाद मेरा एक अनुभव में बता रहा हूं ये तो ऑटोबायोग्राफी ऐसा मत लिखो लीजिए 12 15,12-13 साल के बाद जब यह काम दिया था केसरी साप्ताहिक ने एक विषय के बारे में एक आर्टिकल लिखने के लिए उसे समय लिखकर लिखकर आया था|

एक नाम मैं भूल गया था कम्युनिस्ट पार्टी के एक यूगोस्लाविया लीडर हु काइंड द टर्म न्यू क्लासकमेंट्स कम्युनिस्ट पार्टी में न्यू क्लास आ गया ऐसा करके वह ना मैं भूल गया था किसके बारे में बताया था किसको पूछेंगे त्रिवेंद्रम में था उसे समय त्रिवेंद्रम में लाइब्रेरी में देखने के समय वह पुस्तक नहीं है याद है वह पुस्तक में मैंने पढ़ा है इंटरफेस ऑफ साइंटिफिक उटटोपिया में पड़ा है ऐसा मेरे मन में याद है इसलिए मैंने फिर किसको एक ही लाइफ लाइन है हम सभी को एक ही लाइफ लाइन है तुरंत हरि जी को फोन किया उन्होंने बताया देखिए परमेश्वर जी का लाइब्रेरी में जाओ संस्कृति भवन में वह लाइब्रेरी के तीसरा अलमारा में दूसरे सिर्फ दूसरे जो इसमें चौथ या पांचवा पुस्तक वह है देखिए दिस इस माय एक्सपीरियंस आई एम नॉट टॉकिंग माय बायोग्राफी आई एम टॉकिंग अबाउट हरि जी हे वास सेइंग इतना नंबर का जो अलमारी इसका जो स्टेप दूसरा इसका चौथ या पांच जो मेरा याद ठीक है तो चौथा नहीं तो पांचवा पुस्तक है उस पचवां पुस्तक के अंदर वहां उन्होंने समाप्त नहीं किया वो पांचवा पुस्तक व है इंटरफेस ऑफ साइंटिफिक उटटोपिया इसका 23rd पेग आईटी वास रिगार्डिंग यूगोस्लाविया ए उन्होंने नाम मेरे को नहीं बुलाया बताएं नाम बताया तो मैं नहीं जाऊंगा वह सब उनको मालूम है इसलिए उन्होंने यह बताया पर मैं गया|

पुस्तक देखा मेरे को आश्चर्य हो गया इतना फोटोग्राफिक मेमोरी खोजते हैं हम सुने होंगे स्वामी विवेकानंद जी के बारे में वगैरा तो बहुत सारे सुने होंगे लेकिन हरि जी वह सब पर्सन हु लाइव्ड अमोंग उस हेविंग था फोटोग्राफिक मेमोरी वो 23rd पेज में मैंने देखा मिलोवन जिलासे मैं फिर तुरंत फोन किया वहां से फोन रिंग करने से उन्होंने उठाया मिलावन जुलस्कों मिला है ऐसा उन्होंने पूछा क्या सो थिस इस द वे टू क्रिएट कार्यकर्ता उनका सीखने का जो यह हम कितने मात्रा में यह सब एसिम्युलेट करते हैं तथा इस द मैं क्वेश्चन विच इस फेसिंग उस हम सब उसी रास्ते में चलना चाहिए उनका जो स्मृति उनका जो मार्गदर्शन वह अभी भी हमारे सामने हैं एक जिंदगी में एक जन्म में पढ़ने के लिए कोशिश किया तो भी आई एम क्वाइट स्यूर अबाउट मी मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को एक जिंदगी में पढ़ सक पढ़ नहीं सकते हैं उतना पुस्तक उन्होंने हमको दिए हैं उसका खूब प्रयोग करते हुए हम आगे बढ़ाने की जरूरत है रंग हर जी जैसे व्यक्ति कोई भी व्यक्ति संघ में अनुपक्षणिया नहीं निरपेक्ष नहीं है|

संघ व्यक्ति निर्माण में व्यक्ति को महत्व देते हैं व्यक्ति को बनाने के लिए कोशिश करते हैं लेकिन बिल्कुल संघ हरि जी जैसे लोगों ने हमको सिखाया है कोई भी व्यक्ति निरपेक्ष नहीं हैआई मीन कोई भी व्यक्ति सापेक्ष नहीं है व्यक्ति निरपेक्ष है संघ का फिर भी हरि जी जैसा पर्सनेलिटीज वह हमेशा नहीं आते हैं हम सब सौभाग्यशाली लोग हैं खास तौर पर मुंबई के स्वयंसेवक लोग बहुत साल उनके साथ रहने का अवसर हम सबको मिला है ऐसे वह महान विभूति 73 इयर्स का 72 इयर्स का जो प्रचारक शिव 1951 तो 19 2023 अक्टूबर 29 तक एक स्वयंसेवक कैसा होना? एक प्रचारक कैसा होना? एक कार्यकर्ता कैसा होना? एक सही हिंदू कैसा होना? यह हम सभी को सीखने सीख कर गए हुए मैं रंग हरि जी का याद उनका जो स्मृति वह और ठीक तरीके से आगे बैठने को हम सभी को प्रेरणा देना है उसे प्रकार से उनके बारे में स्मरण करते हुए आगे बढ़ने से दैट विल बी तथा विल बे थे ट्रुथ ट्रिब्यूट टू हिम थ्रू होमेज तो हम ऐसा करके हम आगे बैढने के लिए कोशिश करेंगे इतना जो बात बात कर मैं मेरी वाणी को यहां विराम देता हूं..

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