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“एकल अभियान”.. समग्र ग्राम विकास हेतु एक समन्वित प्रयास..

A people's movement...

भारतीय समाज की सामर्थ्य का आधारस्तंभ बनी लगभग ३० प्रतिशत आबादी जिन चार लाख गाँव में निवास कर रही है-उनमें से एक लाख ग्रामों को शक्ति केन्द्र बना दीजिए, भारत क्वयं शक्तिशाली राष्ट्र बन जायेगा। यही वह सन्देश है जो आज में लगभग 100 वर्ष पूर्व स्वामी विवेकानन्द जी ने भारत को दिया था और इसकी कार्य योजना भी बताई। अति सामान्य व्यक्ति के लिए सुलभ शिक्षा, बस इसी आदेश के वर्तमान संस्करण का नाम है “एकल अभियान”..

सन् 1986 में ही पूज्य भाऊराव देवरस जी ने वनवासी सेवा में लगे कार्यकर्ताओं के बीच एकल विद्यालय योजना (एकल शिक्षक विद्यालय योजना) की परिकल्पना दी। इस कल्पना के अनुरूप 1989 में झारखण्ड प्रदेश के धनबाद जिले के दुण्डी विकास खण्ड के 60 गाँवों में वनबन्धु परिषद के संस्थापकों में से एक स्व मदनलाल अग्रवाल जी की देख-रेख में इस योजना का श्रीगणेश हुआ।

गाँव में चलने वाली हमारी प्रमुख गतिविधियाँ निम्नांकित है :-

  1. एकल विद्यालय योजना

अ.प्राथमिक शिक्षा-एकल विद्यालय में कार्य करने वाले शिक्षक को विद्यालय में 3 घण्टे पढ़ाने के अतिरिक्त चार/पाँच घण्टे का समय ग्रामवासियों की सेवा एवं उन्नति के लिए प्रतिदिन देने का संकल्प करना पड़ता है। प्राथमिक शिक्षा का शिक्षण विद्यालय में किया जाता है. शेष चार शिक्षाओं का शिक्षण ग्रामवासियों के मध्य किया जाता है। प्रत्येक विद्यालय ग्राम में न्यूनतम 25 सदस्यों की ग्राम समिति का गठन किया जाता है।

ब. स्वास्थ्य शिक्षा– स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत हम ग्रामवासी के मन में स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ नियमों के प्रति जागरुकता निर्माण कर रहे हैं। ग्रामवासी को दवाई के अभाव में दम तोड़ने से बचाने हेतु सरकार की ओर से चल रही तीन योजनायें 1. आँगन बाड़ी योजना 2. आशा योजना ३. ए.एन.एम योजना-जिसके अन्तर्गत निकटवर्ती स्वास्थ्य केन्द्र से सम्बन्धित एक महिला स्वास्थ्य कर्मी ग्रामवासियों के बीच निरन्तर औषधि वितरण द्वारा चिकित्सकों से चिकित्सा हेतु प्रेरित भी करती है। गाँव की आरोग्य समिति इन तीनों सरकारी योजनाओं को सक्रिय एवं सन्तोषजनक क्रियान्वयन हेतु प्रयास करती है।

स. विकास शिक्षा-विकास शिक्षा के अन्तर्गत हम ग्रामवासियों में जैविक खेती के प्रति जागरुकता हेतु प्रशिक्षण दे रहे हैं। परिणाम की दृष्टि से प्रत्येक गाँव के 25 प्रभावी परिवारों को रसायनिक खाद के प्रयोग से बचाकर जैविक खाद एवं कीट नियन्त्रक के प्रयोग हेतु सहमत कर रहे हैं। जिससे उनकी आय में वृद्धि की जा सके तथा बाँझ हो रही धरती माँ को भी रसायन मुक्त किया जा सके।

द. जागरण शिक्षा-जागरण शिक्षा के अन्तर्गत हम गामीणों का स्वाभिमान जागृत करने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामवासियों को सरकार द्वारा समाज कल्याण हेतु चलाई जा रही योजनाओं तथा संविधान प्रदत्त अधिकारों की जानकारी देते हैं। इसके अन्तर्गत जनवितरण प्रणाली, रोजगार भारन्टी योजना, वृद्धावस्था पेन्शन योजना तथा मिड डे मील योजना को प्राथमिकता के आधार पर संतोषजनक क्रियान्वयन हेतु प्रयास किया जा रहा है। इसमें सूचनाधिकार अधिनियम का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

  1. संस्कार शिक्षा-इस शिक्षा के अन्तर्गत संचालित है दो प्रभावी योजनायें

अ. श्रीहरि कथा प्रसार योजना-

इसके अन्तर्गत वनवासी-ग्रामवासी समाज की युवक/युवतियों को अयोध्या/वृन्दावन धाम में, श्रीराम कथा व श्रीकृष्ण कथा का 9 मानका प्रशिक्षण देकर व्यास कथाकार बनाया जाता है। वाल्मीकि एवं व्यापती की सन्ताने व्यास पीठ पर विराजमान अपने परिवार के किसी युवा-युवती के द्वारा जब रामकथा या कृष्ण कथा सुनती है, तो कल कीजिए कि कैसी धार्मिक निष्ठा का वातावरण बनेगा उनके गाँव है। इसी में से उपज रहा है उनका स्वाभिमान। जिसके परिणाम स्वरूप गाँव-गाँव में खिंचने लगी है वह लक्ष्मण रेखा जिसको लाँघ कर गाँव की अस्मिता, शान्ति तथा समृद्धि रूपी सीता का हरण करने का साहस किसी रावण का न होगा। फिर चाहे वह सरकारी ठेकेदार हो, राजनीतिक ठेकेदार हो या फिर धार्मिक ठेकेदार ही क्यों न हो ?

ब. श्रीहरि मन्दिर रथ योजना-

किसी विषय पर आधारित कथा-कहानी को सुनने की अपेक्षा चित्र रूप में देखने से मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस सिद्धान्त को ध्यान में रखाते हुए ही रथ योजना का शुभारम्भ हुआ है। इसमें एक मिनी ट्रक को मन्दिर के रूप में आकार देकर स्थानीय देवता का पूजन तथा प्रोजेक्टर द्वारा विशाल पर्दे पर रामायण व महाभारत चल-चित्र प्रदर्शन के साथ ही गाँव-गाँव में धर्मसभा के आयोजन द्वारा धार्मिक भाव तथा राम साधक बनने की प्रेरणा देता है।

अब हमारा एकल अभियान 35 वर्ष पूर्ण कर 36 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अब समाज भी हमसे अपेक्षा कर रहा है कि प्रयास पर्व के पश्चात् परिणाम पर्व का शुभारम्भ होना चाहिए। हमने प्रारम्भ में ही कहा था कि “सेवा हमारा प्रवेश का मार्ग है, लक्ष्य तो समाज परिवर्तन है।” सेवा से जीतेंगे ग्रामवासियों का विश्वास, उसमें से पैदा होगा संगठन और उसकी परिणति होगी समाज परिवर्तन में।

आज सम्पूर्ण देश के गाँव-गाँव में निम्नांकित आठ प्रकार के परिणामों की अपेक्षा कर रहे हैं, जो कि क्रमशः पूरे होते दिख रहे हैं :- 1. पूर्ण साक्षर गाँव 2. पूर्ण स्वस्थ गाँव 3. पूर्ण विकसित गाँव 4. पूर्ण जागृत गाँव 5. पूर्ण संस्कारित गाँव 6. पूर्ण समरस गाँव ७. पूर्ण सुरक्षित गाँव 8. पूर्ण संगठित गाँव ।

अभियान का हृदय-हमारे नगर संगठन

किसी भी संगठन के जन्म लेते ही अनिवार्य आवश्यकता के रूप में धन का नाम सामने आता है। एकल अभियान में प्रथम दिवस से ही इसकी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विभिन्न क्षेत्रों में कार्य सम्भालने के लिए नगर संगठनों का क्रमशः विकास हुआ-

एकल अभियान ट्रस्ट :-20 अप्रैल, 2012 को कोलकाता में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा जिसका पंजीकृत कार्यालय कोलकाता में है किन्तु वर्तमान में मुख्यालय दिल्ली में है। इस ट्रस्ट का निर्माण मुख्यतः वनवासी समाज के कल्याण हेतु कार्यरत समान विचार वाले विभिन्न संस्थानों के छत्र संगठन (Umbrella Organization) के रूप में किया गया है। यह ट्रस्ट अपने साथ सम्बद्ध समस्त संस्थानों के सुगम संचालन हेतु नीतियों का निर्माण करने एवं परस्पर सामन्जस्य बनाये रखने का कार्य करता है।

एकल विद्यालय योजना हेतु :-

वनबन्धु परिषद :– 06 जून, 1989 को कोलकाता महानगर में एक सोसाइटी के रूप में जन्मा वनबन्धु परिषद जिसका मुख्यालय कोलकाता में है। देश के 37 महानगरों में कार्यरत् अपने चैप्टरों के साध्यम से देश के 3/4 (50000 से अधिक एकल विद्यालय) कार्यक्षेत्र विद्यालयों का वित्तपोषण एवं संचालन सम्भालने का कार्य कर रहा एकल विद्यालय फॉउण्डेशन ऑफ इण्डिया 14 दिसम्बर, 1999 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा एकल विद्यालय फॉउण्डेशन श्रॉफ इण्डिया जिसका मुख्यालय दिल्ली में है, विश्व के 19 देशों में फैले अपने चैप्टर एवं सहयोगी समूहों के माध्यम से देश के 23000 से अधिक एकल विद्यालय का वित्तपोषण एवं संचालन का कार्य कर रहा है।

भारत लोक शिक्षा परिषद :-3 मार्च, 2000 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा भारत लोक शिक्षा परिषद् जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। अपने 10 चैप्टरों के माध्यम से सम्पूर्ण उत्तर भारत के लगभग 25000 से अधिक एकल विद्यालय का वित्तपोषण एवं संचालन सम्भालने का कार्य कर रहा है।

एकल ग्राम संगठन :- 16 नवम्बर, 2015 को दिल्ली में एक सोसाइटी के रूप में जन्मा जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। इसका मुख्य उ‌द्देश्य विद्यालय संचालन तथा ग्रामीण समाज को संगठित करना। कार्यों के संचालन हेतु प्रभाग, सम्भाग एवं जनपद स्तर पर इकाइयों का गठन किया गया है। 10 प्रभाग, 33 सम्भान एवं 398 जिला इकाइयों के साथ ही 1500 एकल विद्यालयों का संचालन एवं वित्तपोषण किया जा रहा है।

एकल संस्थान :-03 जुलाई, 2008 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा एकल संस्थान जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। इसका मुख्य उ‌द्देश्य शोध एवं अनुसंधान है। राष्ट्रीय स्तर पर इसका एक ट्रस्ट बोर्ड है। कार्यों को प्रत्यक्ष संचालन हेतु कार्य समिति का गठन किया गया है। संस्थान द्वारा द्विमासिक पत्रिका एकल प्रयास तथा मासिक समाचार पत्र के रूप में एकल वार्ता का नियमित प्रकाशन किया जाता है।

श्रीहरि कथा प्रसार योजना हेतु :-

श्रीहरि सत्संग समिति/एकल श्रीहरि वनवासी विकास ट्रस्टः- 1997 को कोलकाता में जन्मा श्रीहरि सत्संग समिति/एकल श्रीहरि वनवासी विकास ट्रस्ट जिसका मुख्यालय मुम्बई में है तथा अब यह एकल श्रीहरि वनवासी विकास ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत होकर कार्यरत है। इसका उ‌द्देश्य गाँव में सत्संग केन्द्र, श्रीहरि मन्दिर रथ एवं श्रीहरि कथा प्रसार योजना चलाना है। देश के 62000 गाँवों में सत्संग केन्द्र संचालित है तथा 94 श्रीहरि मन्दिर रथ संचालित है। राष्ट्रीय स्तर पर 5 चैप्टर है।

विभिन्न प्रकल्पों हेतु :-

आरोग्य फॉउण्डेशन ऑफ इण्डियाः-26 फरवरी, 2003 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा आरोग्य फॉउण्डेशन ऑफ इण्डिया, जिसका मुख्यालय कोलकाता में है। इसका मुख्य उद्देश्य आरोग्य केन्द्र संचालन एवं वित्तपोषण करना। वर्तमान में देश के 70 विकास खण्डों में आरोग्य केन्द्र संचालित हो रहे हैं।

एकल ग्रामोत्थान फॉउण्डेशनः 27 नवम्बर, 2014 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा एकल ग्रामोत्थान फॉउण्डेशन जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। इसका मुख्य उद्देश्य कौशल विकास केन्द्र, जैविक खेती एवं महिला सशक्तिकरण हेतु ग्रामोत्थान संसाधन केन्द्र संचालित करना है। वर्तमान में कुल ग्रामोत्थान संसाधन केन्द्र-14, कौशल विकास केन्द्र-9, समग्र ग्राम विकास केन्द्र-45, प्रकल्प संख्या-240 व एकल ऑन व्हील नामक (कम्प्यूटर वैन)-47 हैं।

विदेश विभाग हेतु :-

एकल ग्लोबल फॉउण्डेशन :- 1 जून, 2018 को दिल्ली में एक ट्रस्ट के रूप में जन्मा, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेश में वित्त संग्रह की दृष्टि से चैप्टर निर्माण करना। वर्तमान में विश्व के 8 देशों में इसकी इकाई पंजीकृत हैं तथा कुल 11 देशों में सहयोगी समूह कार्यरत हैं। जो कि एकल अभियान की विभिन्न गतिविधियों विशेषकर एकल विद्यालयों के लिए धन संग्रह का कार्य करते हैं।

हम इस अभियान के द्वारा प्रमाणिक सेवा का प्रयास कर रहे हैं। यह प्रयास ग्राम देवता की पूजा का प्रयास है। उसका स्वभाविक परिणाम है कि हमारा ग्राम देवता 8 अलंकारों से विभूषित हो रहा है। इसी ग्राम देवता का संकलित रूप भारत माता है। भारत माता ग्राम वासिनी है। गाँव सुखी होंगे, भारत सुखी बनेगा और इसी संकल्प के साथ इस अभियान का जन्म हुआ है। हमारा घोष वाक्य भी यही है “धरती की शक्ति जगायेंगे-भारत को सुखी बनायेंगे।” इस लक्ष्य की प्राप्ति प्रभु की नियति है। हमें अपने प्रयास की प्रामाणितकता से प्रभु कृपा सुनिश्चित करनी है। शेष तो प्रभु का काम है, वही इसको पूर्ण भी करेंगे।

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