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CRPF स्थापना दिवस:-अदम्य साहस और उत्कृष्ट सेवा का नाम है CRPF,

सीआरपीएफ ने अदम्य साहस और उत्कृष्ट सेवा के लिए अपनी एक पहचान स्थापित की है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 84वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जवानों व उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, सुरक्षा संबंधी चुनौतियां हों या फिर मानवीय चुनौतियां, सीआरपीएफ की भूमिका हमेशा सराहनीय रही है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जवानों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट में लिखा, अपने शौर्य से सीआरपीएफ ने न सिर्फ देश की सुरक्षा को अक्षुण्ण रखने में अद्वितीय योगदान दिया है बल्कि वीरता का एक गौरवशाली इतिहास भी बनाया है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है।

1939 में हुआ था गठन,

सीआरपीएफ देश के सबसे पुराने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है और इसके पास देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी है।आज ही के दिन 1939 में क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस के रूप में इसका गठन हुआ था। आजादी के बाद 28 दिसम्बर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल नाम दिया गया था।

1950 से पूर्व भुज, तत्‍कालीन पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्‍य संघ (पीईपीएसयू) तथा चंबल के बीहड़ों के सभी इलाकों द्वारा केरिपुबल की सैन्‍य टुकडि़यों के प्रदर्शन की सराहना की गई। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। 

1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर बल ने अरूणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की। इस आक्रमण के दौरान केरिपुबल के 8 जवान शहीद हुए। पश्चिमी और पूर्वी दोनों सीमाओं पर 1965 और 1971 में भारत पाक युद्ध में भी बल ने भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया।

70 के दशक के पश्‍चात जब उग्रवादी तत्‍वों द्वारा त्रिपुरा और मणिपुर में शांति भांग की गई तो वहां केरिपुबल बटालियनों को तैनात किया गया था। इसी दौरान ब्रह्मपुत्र घाटी में भी अशांति थी। केरिपुबल की ताकत न केवल कानून और व्‍यवस्‍था बनाए रखने के लिए बल्कि संचार तंत्र व्‍यवधान मुक्‍त रखने के लिए भी शामिल किया गया। पूर्वोत्‍तर में विद्रोह की स्थिति से निपटने के लिए इस बल की प्रतिबद्धता लगातार उच्‍च स्‍तर पर है।

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